२६ साल आंसूं बहाए हैं हमने
और आज भी गुनेहगार घूम रहे है
चिल्लाएं भी तो कैसे, फेफ्रों में जान नहीं है
और गुनेहगार घूम रहे है
बच्चे मर गए, औलादों ने माँ बाप खो दिए
और गुनेहगार घूम रहे है
अब अगर हम बन्दूक उठेंगे तो फिर
माओवादी कहा जाएगा हमें
आंतकवादी कहा जाएगा हमें
uncivilised कहा जाएगा हमें
लेकिन फिर भी, तुम्हारे बदन की एक नस हमारे दर्द को नहीं समझेगी
तुम अमन चाहते हो, हम इज्ज़त चाहते हैं
शायद तुम्हारी अमन की दुनिया में हमारी जगह नहीं
इसलिए आज बन्दूक उठेंगे, तुम्हारी अमन की दुनिया टूटेगी
अगर हमें इज्ज़त नहीं मिली, तो एक बात जान लो...
इन हाटों ने अपनों का दफनाया है
ये तुम्हे मारने से पहले कापेंगी नहीं...
और आज भी गुनेहगार घूम रहे है
चिल्लाएं भी तो कैसे, फेफ्रों में जान नहीं है
और गुनेहगार घूम रहे है
बच्चे मर गए, औलादों ने माँ बाप खो दिए
और गुनेहगार घूम रहे है
अब अगर हम बन्दूक उठेंगे तो फिर
माओवादी कहा जाएगा हमें
आंतकवादी कहा जाएगा हमें
uncivilised कहा जाएगा हमें
लेकिन फिर भी, तुम्हारे बदन की एक नस हमारे दर्द को नहीं समझेगी
तुम अमन चाहते हो, हम इज्ज़त चाहते हैं
शायद तुम्हारी अमन की दुनिया में हमारी जगह नहीं
इसलिए आज बन्दूक उठेंगे, तुम्हारी अमन की दुनिया टूटेगी
अगर हमें इज्ज़त नहीं मिली, तो एक बात जान लो...
इन हाटों ने अपनों का दफनाया है
ये तुम्हे मारने से पहले कापेंगी नहीं...
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