Tuesday, February 5, 2013


आज मैं तुमसे, एक ख्वाब वापस मांगता हूँ।
मुस्कुराहटों ने, तेरी आहटों ने,
इस दिल में एक घर बनाया था।
तेरी मोहब्बत के लिबास को पहन कर,
मेरे होठों ने एक सुर सजाया था।
जिस मय पर थिरके वो पग
हर बूँद उस शराब की मैं वापस मांगता हूँ
आज मैं तुमसे एक ख्वाब वापस मांगता हूँ





ये तेरा ही कमाल है शायद,
जो आज भी तेरी तस्वीर से बातें करता हूँ
बेमानी गलियों से गुज़रते हुए
अपने साए को तेरा समझ उसके पीछे चलता हूँ
जिन आँखों से स्याही दी, तूने इन लफ़्ज़ों को
उन आँखों से कुछ और अलफ़ाज़ मांगता हूँ



आज मैं तुमसे, एक ख्वाब वापस मांगता हूँ।।।।

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